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सिविल कानून

दुष्कर्म पीड़ितों को गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन के लिये 24 घंटे के भीतर अस्पताल ले जायेगा

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 11-Aug-2023

नबल ठाकुर बनाम राज्य

"गर्भावस्था अवधि 20 सप्ताह से कम होने पर भी, दुष्कर्म पीड़िता को 24 घंटे के भीतर गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन (Medical Termination of Pregnancy) के लिये अस्पताल ले जाया जायेगा।"

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा

स्रोत - दिल्ली उच्च न्यायालय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, नबल ठाकुर बनाम राज्य के प्रकरण/वाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहा कि दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारियों को दुष्कर्म पीड़िता को 24 घंटे के भीतर गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन प्रक्रिया के लिये संबंधित अस्पताल में भर्ती करना होगा, यहाँ तक कि उन मामलों में भी जहाँ गर्भावस्था की गर्भधारण अवधि 20 सप्ताह से कम है।

पृष्ठभूमि

आरोपी ने 24 नवंबर, 2020 को अभियोक्त्री (prosecutrix) को किसी झूठे बहाने से अपने घर बुलाया और उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया।

घटना के समय अभियोक्त्री (prosecutrix)16 वर्ष की थी।

इसके बाद पीड़िता चार सप्ताह और पांच दिन की गर्भवती पाई गई।

इसके बाद, आरोपी ने उच्च न्यायालय के समक्ष जमानत याचिका दायर की जिसे बाद में खारिज़ कर दिया गया।

न्यायालय की टिप्पणियाँ (Court’s Observations)

यौन उत्पीड़ित गर्भवती महिलाओं के साथ डॉक्टरों और दिल्ली पुलिस द्वारा पालन किये जाने वाले निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किये :

  • जहाँ गर्भावस्था की चिकित्सीय समापन का आदेश पारित किया गया है, दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारियों को पीड़िता को 24 घंटे के भीतर गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन की प्रक्रिया के लिये संबंधित अस्पताल में भर्ती करना होगा, यहाँ तक कि उन मामलों में भी जिनमें गर्भधारण अवधि 20 सप्ताह से कम है।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार (Department of Health and Family Welfare, Government of NCT of Delhi) तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) को यह सुनिश्चित करना होगा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िताओं की जांच के लिये मौजूदा दिशानिर्देश/मानक संचालन प्रक्रिया दिल्ली के सभी अस्पतालों में अवश्य भेजी जाए।
  • उपर्युक्त मंत्रालयों को वर्तमान निर्णय में दिये गये अतिरिक्त निर्देशों को प्रसारित करने का भी निर्देश दिया गया है, जिन्हें मौजूदा मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) में जोड़ा जायेगा कि यदि पीड़िता गर्भवती है और भ्रूण के संरक्षण सहित गर्भावस्था की चिकित्सीय समापन (MTP) के आदेश दिये गये हैं, तो जांच अधिकारी ऐसा आदेश संबंधित अस्पताल के अधीक्षक के समक्ष प्रस्तुत करेगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि संबंधित डॉक्टर जिसे गर्भावस्था के चिकित्सीय समापन का कर्तव्य सौंपा गया है, वह अत्यंत सावधानी के साथ ऐसा करेगा।
  • गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करने वाला संबंधित डॉक्टर यह सुनिश्चित करेगा भ्रूण को संरक्षित किया गया है और पीड़िता को ऐसी किसी भी जल्दबाज़ी में छुट्टी नहीं दी गई है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़िता की जान को खतरा हो सकता है और यौन उत्पीड़न मामले में साक्ष्य नष्ट हो सकते हैं।
  • ऐसे मामलों में जिनमें यौन उत्पीड़ित महिला की मेडिकल जांच की जाती है, सभी संबंधित अस्पताल यह सुनिश्चित करेंगे कि मूल MLC (मेडिको लीगल सर्टिफिकेट) के साथ-साथ ऐसे पीड़ित की डिस्चार्ज समरी की एक टंकित प्रति भी तैयार की जाए और यह डिस्चार्ज समरी संबंधित अस्पताल और जांच अधिकारी को एक सप्ताह की अवधि के भीतर प्रदान की जायेगी।
  • इस न्यायालय के उपरोक्त निर्देशों को इस आदेश के जारी होने और इसकी प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के सभी अस्पतालों में भेजा जाना चाहिये।
  • माइनर आर थ्र मदर एच बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (2023) (Minor R Thr Mother H v. State NCT of Delhi (2023) प्रकरण/वाद में जारी किये गये दिशानिर्देशों के अतिरिक्त पढ़ा जायेगा।

विधायी प्रावधान (Legal Provisions)

गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 (Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 (MTP)

  • यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1972 को लागू हुआ।
  • 1971 का गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 और इसके तहत बने वर्ष 2003 के नियम ऐसी अविवाहित महिलाओं को, जो 20 सप्ताह से 24 सप्ताह के बीच की गर्भवती हैं, पंजीकृत चिकित्सकों की मदद से गर्भपात कराने से रोकते हैं।
  • इस अधिनियम को वर्ष 2020 में अधिक व्यापक रूप से अद्यतन किया गया और संशोधित कानून निम्नलिखित संशोधनों के साथ सितंबर 2021 में प्रभावी हो गया।
    • गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 के तहत, उस अधिकतम गर्भधारण आयु, जिस पर एक महिला चिकित्सीय गर्भपात करा सकती है को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है।
    • गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक, गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन करवाने के लिये एक योग्य चिकित्सा पेशेवर की राय का उपयोग किया जा सकता है और 20 सप्ताह से 24 सप्ताह तक की गर्भावस्था के मामले में दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय की आवश्यकता होगी।
    • दो पंजीकृत चिकित्सकों की राय लेने के बाद, नीचे दी गई शर्तों के तहत गर्भावस्था को 24 सप्ताह तक की गर्भधारण अवधि तक समाप्त किया जा सकता है:
      • यदि महिला या तो यौन उत्पीड़न या दुष्कर्म या अनाचार की पीड़िता है;
      • यदि वह नाबालिग है;
      • यदि ज़ारी गर्भावस्था के दौरान उसकी वैवाहिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया हो (विधवा होने या तलाक होने के कारण);
      • यदि वह दिव्यांग है या विक्षिप्त है;
      • जीवन के साथ असंगत भ्रूण विकृति या गंभीर रूप से दिव्यांग बच्चे के जन्म की संभावना के आधार पर गर्भावस्था की समाप्ति;
      • यदि महिला किसी मानवतावादी बसावट या आपदा में स्थित है या सरकार द्वारा घोषित आपातकाल में फंसी हुई है।
    • भ्रूण की असामान्यताओं के आधार पर गर्भपात किया जाता है जहाँ गर्भावस्था 24 सप्ताह से अधिक हो गई हो।
      • गर्भावस्था का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 अधिनियम के तहत प्रत्येक राज्य में चार सदस्यों वाले स्थापित मेडिकल बोर्ड को इस प्रकार के गर्भपात की अनुमति देनी होगी।
  • X बनाम प्रधान सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (2022) प्रकरण/वाद में, उच्चतम न्यायालय ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय दिया कि सहमति से बनाए गए संबंध से उत्पन्न 20-24 सप्ताह की अवधि में गर्भावस्था के गर्भपात की मांग करने में विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिये। इसमें कहा गया है कि सभी महिलाएँ सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं।